सिंहासन पर दाग लगे रहे छवि हो रही काली है। करते नंगा नाच यहां पर गुंडे और मवाली हैं।। अपराधों का दौर है जारी जनता घुट घुट रोती है। उधर हमारी रक्षक खाकी आंख मूंद कर सोती है।। नारी लाज गवांती दिखती थाने के चौबारों में। दु:शासन की छवि दिखलाई देती थानेदारों में।।
यही पीड़िता जनप्रतिनिधि की बेटी कहीं रही होती। उस को न्याय दिलाने में क्या इतनी देर लगी होती।।
बेटी खोई जिसने सोचो क्या क्या उस पर बीती है। लगता फिर से मानवता पर दानवता ही जीती है।।
सत्ता पर कोई दाग लगे न ध्यान रहे यह योगी जी। दुष्टों का संहार जरूरी है सुन लो ये योगी जी।।
जनता जो भी मांग कर रही उसको मान लिया जाए। सात दिनों में सुनवाई कर फांसी टांग दिया जाए।।